नाग पंचमी का संबंध सरीसृप 'नाग' से नहीं है, बल्कि उन पांच शक्तिशाली नाग राजाओं से है जिनके भारत में 'नाग' को 'कुलदेवता' के रूप में रखा गया था..!!
●1• नागराजा - अनंत (शेष) ..
●2• नागराज - वासुकि..
●3• नागराज - तक्षक..
●4• नागराज - कर्कोटक..
●5• नागराज-ऐरावत..
इन पांचों नागा राजाओं के स्वतंत्र राज्य थे..!!
इनमें नागराज 'अनंत' सबसे बड़े हैं..!! जम्मू और कश्मीर का 'अनंतनाग' शहर उनकी स्मृति का साक्षी है..!!
उनके बाद दूसरे नागराज 'वासुकि' हैं..!! वासुकि कैलाश मानसरोवर से लेकर उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रमुख राजा थे..!!
तीसरे नागराज 'तक्षक'..!! उन्होंने विश्व प्रसिद्ध 'तक्षशिला' विश्वविद्यालय की स्थापना की। यहीं पर बाद में प्लेटो और अरस्तू जैसे दार्शनिकों ने अध्ययन किया..!!
चौथे नागराज 'कर्कोटक' ने रावी नदी के निकटवर्ती क्षेत्र पर शासन किया..!!
पाँचवें नागराज 'ऐरावत'..!! (पिंगला) भंडारा प्रांत आज भी 'पिंगलाई अरिया' के नाम से जाना जाता है..!!
इन पाँचों नाग राजाओं के गणराज्यों की सीमाएँ एक-दूसरे के राज्यों से सटी हुई थीं..!!
इन पाँचों नाग राजाओं की मृत्यु के बाद, नाग वंश के लोग उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष "नाग पंचमी" का दिन मनाते थे..!!
समय के साथ, यज्ञ वंश की कलम ने नाग राजा को ज़मीन पर रेंगने वाले 🐍 सर्प में बदल दिया..!!
परिणामस्वरूप, 'नाग नरसोबा' और कुछ ग्रंथ प्रसिद्ध हुए और यह दिन केवल 'रेंगने वाले 🐍 सर्पों की पंचमी' के नाम से जाना जाने लगा, और नाग वंश के राजाओं की पंचमी लुप्त हो गई..!!
आज नाग पंचमी का अर्थ है सर्प को दूध पिलाना और उसकी पूजा करना। बहुजन समाज आज भी घर की दीवारों पर पाँच साँप बनाना नहीं भूला है..!!
ये पाँच साँप हमारे पाँच नागराज थे, ज़मीन पर रेंगने वाले साँप नहीं थे..!!
यद्यपि आज 'नाग पंचमी' रेंगते साँपों के दिन के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन इसके संबंध में ऐतिहासिक वास्तविकता कुछ और है..!!
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