गोविंद गुरु बंनजारा
(मानगड भिल-बंनजारा क्रांतीके नायक)_
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निसंदेह गोविंद गुरु बंनजारा-आदिवासी जनआंदोलनके महानायक थे | जिन्होंने भारतवर्ष मे गांधीजीके उदयके पुर्व, मानगड धामपर अहिंसात्मक हिंदू अध्यात्मिक धुनीको आझादी के आंदोलन का अस्त्र बनाया था|
जिन्होंने पाच लाख भिल्ल आदिवासी बंनजारा जनजातियों के उलगुलान छेडा था| करिबन सवासो वर्षपूर्व १८९७ के लँड एक्वीजेशन अॅक्ट का कायदा किया था| इस माध्यम से ब्रिटीशोंने कास्तकारकी जमिनोंको जबरन छिन लिया था|
गोविंद गुरु बंजारा ने ब्रिटिश सरकार के अन्यायकारी लगानके विरोध मे, जनआंदोलन का खडा किया था| निवकी इट रचि थी| उनके धुनी उलगुलानका परिक्षेत्र आदिवासी बहुल चार राज्यों तक फैला था |
मगर विश्वके बहात्तरसे जादा, देशोपर ब्रिटिशोंका आर्थिक साम्राज्यवाद फैला था| वैचारिक दृष्टिकोनसे धुनीमे तपे तरकी चुनौती वैश्विक थी |
राजस्थान के मानगड धामपर गुरु जीने अध्यात्मिक धुनी जलाकर ,देश के जन आंदोलन को मान'गड बनाया था |
वह संस्थान अहिंसा,अध्यात्म , श्रद्धा और पुरुषार्थकी, स्वतंत्र आत्मचेतनाओंकी जनमनमे चिनगारी फैली थी| बादमे वह प्रत्यक्ष भारत वर्ष के आजादी के आंदोलन में, चेतना जगानेमे निव की इट साबीत हुई| मानगड संस्थान भिल-बंनजारा देशभक्तोंके गतिविधियों का केंद्रबिंदू था |
12 ऑक्टोंबर 1871 मे ब्रिटिशोंने जन्हे जन्मजात गुन्हेगार ठहरा दिया था|
आजादी की चिंगारी लेकर मार्गशीर्ष पौर्णिमा केदिन ,लाखों भगत संप सभा में शामिल हुऐ थे |
गोविंद गुरु बंनजारा साधु प्रर्वतीके थे| वह प्रतिकात्मक दृष्टीसे अध्यात्मिक साधना के लिए, सत्संग का अनुष्ठान कर रहे थे |
१९१९ मे जनरल डायरने , कर्नल शटन के आदर्शो पर , जालीयनवाला बगीचेमे, निरपराध ३०० से जादा देशभक्तोंको गोलीका, शिकार बनाया था| मानगड धाम पर उसके तीन वर्षे पुर्व कर्नल शटनने , १५०७ निरपराध देशभक्तोंको गोली का, निशान बनाया गया था |
निसंदेह यह बात स्पष्ट है की, गोविंद गुरु बंनजारा देशभक्त आदिवासीओंके हक्कोंके लिये मुक्तीकी लढाई लढ रहे थे | आश्चर्य की बात है की,गोविंद गुरु बंनजारा राजस्थान गुजरात और मध्य प्रदेश के पाच लाख आदिवासीओंका १२५ वर्षपुर्व नेतृत्व कर रहे थे| जिसका दायरा उस समय महात्मा गांधीजी के जन आंदोलन से भी बडा था|
दक्षिण आफ्रिका मे जन आंदोलन करने वाले महात्मा गांधीजी भारतमे अब तक उजागर नही हुऐ थे| मगर गोविंद गुरु कही प्रति गांधी बन गयेतो ? यह चिंता ब्रिटिशोंको बैचेन कर रही थी|
अर्थात यह बात स्वयं स्पष्ट है की, उन्होने भारत मे गांधीजी के पूर्व जन आंदोलन खडा किया था | गोविंद गुरु बंजारा के जन आंदोलन को जान बुझकर कुचला गया |
गुरुके जन आंदोलन ने निसंदेह कर्नल शटनको १९१६ मे नरसंहार करनेके लिये विवश किया था| मानगडके पवित्र स्थान पर पंधरासो सात ,निहत्ते देशभक्त आदिवासीओंकों तौफ तथा गोलीका निशाना बनाया था|
यह घटना जालियनवाला बाग हत्याकांड के तीन वर्ष पूर्व , मानगडपर चार गुना देशभक्त हुतात्मा हुए थे | इस जीवित इतिहास को जालीयनबाग हत्याकांड की तुलना मे इतिहासकारने जाणबुझकर छुपाया था |
ऐसे जिवीत इतिहास को, प्रोफेसर (डॉ )अशोक पवार तथा डॉ सुनिता राठोड पवार ने बीस खंडोकी स्वर्णिम बंनजारा इतिहास की श्रृंखलामे खडा किया है|
उनके वंशज पवार, राठोड तथा जाधव परिवार के शेकडो विरपुरुषोंने गुरु परंपरा मे कुर्बानीया दी थी|
जिसकी चर्चा किसी इतिहासकारने, संदर्भासहित करने की कोशिश नही की है| वह जिवित स्वर्णिम बंनजारा इतिहास ,सामने लाने का कार्य पवार दम्पतीने किया है|
पिछले तीन दसकसे उनकी धर्मपत्नी प्रधानाचार्य डॉ सुनिता राठोड- पवार जो महाराष्ट्र शासनके राज्य आंग्लभाषा के संचालक के बडे पदपर सेवारत है | डॉ अशोक पवार डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय मे अर्थशास्त्र विभागके विभागाध्यक्ष तथा वसंतराव नाईक संशोधन तथा प्रशिक्षण केंद्र के संचालक पदपर सेवा कर रहे है |
उनके स्वर्णिम शोध कार्य के, धुनी तपे तीर के यज्ञ को, हामारी हार्दिक शुभकामनाये ज्ञापित करते है |
- नारायन गिरी महाराज बासवाडा.
- डॉ उदयसिंह बंजारा मानगडधाम, राजस्थान.
- 63778 61313__
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